Friday, May 6, 2011

एक मुक़म्मल शेर.



ज़मीं वालों से ये कहकर फलक पर ढल गया सूरज
उजाले
बाँट देने से उजाला काम नहीं होता।
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2 comments:

रंजना said...

वाह....दो ही पंक्तियों में कितनी गहरी बात कह दी गयी...

बहुत ही सुन्दर...अनुकरणीय !!!

अमिताभ मीत said...

Kyaa baat hai !! Kyaa kaheN ? Kis Se KaheN ??