Sunday, October 18, 2009

प्रार्थना करें,याचना नहीं...!

भगवान से प्रार्थना कीजिए,याचना नहीं।
आपकी स्थिति ऐसी नहीं कि
कमजोरियों के कारण
किसी का मुँह ताकना पड़े
और याचना के लिए हाथ फैलाना पड़े
प्रार्थना कीजिए कि
मेरा प्रसुप्त आत्मबल जागृत हो
प्रकाश का दीपक जो विद्यमान है
वह टिमटिमाए नहीं
वरन रास्ता दिखाने की स्थिति में बना रहे
मेरा आत्मबल मुझे धोखा न दे
समग्रता में न्यूनता का भ्रम न होने दे
जब परीक्षा लेने और शक्ति निखारने हेतु
संकटों का झुंड आए
तब मेरी हिम्मत बनी रहे
और जूझने का उत्साह भी
लगता रहे कि ये बुरे दिन
अच्छे दिनों की सूचना देने आए हैं
प्रार्थना कीजिए कि हम हताश न हों
लड़ने की सामर्थ्य को
पत्थर पर घिसकर धार रखते रहें
योद्धा बनने की प्रार्थना करनी है
भिक्षुक बनने की नहीं
जब अपना भिक्षुक मन गिड़गिडाए
तो उसे दुत्कार देने की प्रार्थना भी
भगवान से करते रहें।
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अखंड ज्योति से साभार प्रस्तुत.

7 comments:

Vivek Gupta said...

आपको दीपावली पर्व की हार्दिक शुभकामनाये

Udan Tashtari said...

सही कहा आपने..उत्तम संदेश देती रचना.

M VERMA said...

योद्धा बनने की प्रार्थना करनी है
भिक्षुक बनने की नहीं
बिलकुल सही -- याचना क्यूँ, यह तो भिक्षुक बना देगा.

राज भाटिय़ा said...

बिलकुल सही लिखा आप ने.
धन्यवाद

Satish Saxena said...

बहुत बढ़िया , नए अंदाज़ के लिए शुभकामनायें !!

पुनीत ओमर said...

बहुत सुन्दर भाव.. पूर्णतया सार्थक.

Rajeysha said...

जब भी भीख मांगोगे शैतान मि‍लेगा,
भीख में भगवान कि‍सी को नहीं मि‍ला।