Sunday, July 19, 2009

इतिहास बदल सकता है....!

आदमी चाहे तो विश्वास बदल सकता है,
ये घटा और ये आकाश बदल सकता है !
आदमी ही यहाँ इतिहास लिखा करता है,
आदमी चाहे तो इतिहास बदल सकता है !
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6 comments:

mehek said...

bahut khub

ओम आर्य said...

uarja se bharpur rachana

नीरज गोस्वामी said...

बहुत प्रेरक रचना हमेशा की तरह...जैन साहेब आप लाजवाब हैं...
नीरज

"अर्श" said...

हमेशा की तरह ये पोस्ट भी उत्प्रेरक की तरह काम आने को है... सही कहा है आपने/... बधाई... बहोत दिनों से आपका प्यार और आशीर्वाद नहीं मिला...

अर्श

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

आदमी ही आदमी का भूलता इतिहास है।
आदमी के आदमीयत का नही आभास है।।

लाजवाब मुक्तक हैं...

Satish Saxena said...

गज़ब के शब्द हैं , बहुत प्रभावशाली !शुभकामनाएं !