Monday, April 7, 2008

सोचिए ज़नाब !

कितना कठिन होना है सरल सोचिए ज़नाब !
कितना कठिन होना है तरल सोचिए ज़नाब !!
बेशक अनेक हल हैं समस्या के हर मगर !
कितना कठिन है एक पहल सोचिए ज़नाब !!

3 comments:

mehek said...

ye baat to sahi hai,pehel karna hi sabse mushkil hai,bahut khub.

राज भाटिय़ा said...

पहल हे तो मुश्किल लेकिन जिन के होसाले बुलन्द हो,वो प्रवाह नही करते किसी की,लेकिन आप का सवाल दरुस्त हे,

Udan Tashtari said...

सही है.