Monday, April 7, 2008

समय के पाँव थमते नहीं .

रोओं मत, रात गुजरेगी प्रभात होगा
धैर्य रखो ,शांत सब झंझावात होगा
समय को समय पर गर समझ पाओ
आज दुःख तो कल सुख का साथ होगा

4 comments:

mehek said...

bahut sachhi baat kahi bahut khub.

नीरज गोस्वामी said...

जैन साहेब
आप की ये रचनाएँ सतसई के दोहों की तरह हैं " देखन में चोटी लगें घाव करें गंभीर" . छोटे छोटे सार्थक शब्दों से आप कितनी बड़ी बात जिस सहज भाव से कह जाते हैं उसे पढ़ कर मुग्ध हुए बिना नहीं रहा जा सकता.
नीरज

राज भाटिय़ा said...

आज दुःख तो कल सुख का साथ होगा
बहुत खुब,उम्मीद ही तो जीना सिखाती हे,हर रात के बाद दिन भी जरुर निकलता हे,
चन्द्र कुमार जी धन्यवाद

Udan Tashtari said...

आशावाद से भरी चंद पंक्तियों में गहरी बात, बधाई.